ख़यालात
गए थे बड़े अरसों के बाद बचपन की यादें ताज़ा करने पर कमबख्त दोस्त तो किस्से अपनी तरक्की के सुना गए x------------------x इतना गुरूर ना कर खुद पर बारिश की बूंदे भी तो गिरती है आसमा को छू कर x------------------x गुज़रते वक़्त के साथ दर्द कम हो जाता है दिल को बहलाना का यह अच्छा एक बहाना है x------------------x भरी महफिल में जो अक्सर बहुत हँसा करते हैं वो तन्हाई के आलम में चुपके रोया करते हैं x------------------x थोड़ी सी तारीफ भी कर दिया करो कभी ऐब निकालने का हुनर तो सब के पास है x------------------x तरक्की के दौर में दोस्त बहुत मिले अकेला तो तब हुआ जब नाकामयाब हुआ x------------------x ग़ैरों से क्या करे गिले- शिकवे दर्द तो अक्सर अपने दे जाते हैं x------------------x उसके दर पर जा कर अब करते हो मिन्नतें गुनाह करते वक़्त भी वो तेरे करीब ही था x------------------x खुशनसीब है वो जिसका इश्क हुआ मुक्कमल वर्ना रोज निकलते है आशिकों के जनाजे x------------------x वो जिंदगी ही क्या...